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https://ir.vidyasagar.ac.in/jspui/handle/123456789/6320
Full metadata record
DC Field | Value | Language |
---|---|---|
dc.contributor.advisor | Mishra, Damodar | en_US |
dc.contributor.author | Singh, Anju | - |
dc.date.accessioned | 2021-12-13T07:25:42Z | - |
dc.date.available | 2021-12-13T07:25:42Z | - |
dc.date.issued | 2021-11-13 | - |
dc.identifier.other | Thesis; | - |
dc.identifier.uri | http://inet.vidyasagar.ac.in:8080/jspui/handle/123456789/6320 | - |
dc.description.abstract | तु त शोध - बं ध को अययन और ववे चन क सु वधा के िलए भू िमका और उपसं हार के अितर छह अयाय म वभाजत कया गया ह , जो इस कार है - थम अयाय - “रहयवाद : वप और वकास - हं द काय के सदभ मे ” शीषक के अंतगत परभाषाओं के आलोक म रहय और रहयवाद म अंतर प करते ह के वप और वकास पर चचा क गई ह । हं द साहय म रहयवाद क परपरा का ववे चन वे षण के साथ नय रहयवाद पर भी काश डाला गया है । तीय अयाय - “महादे वी वमा और रवीनाथ ठाकु र क रहयवाद कवताएँ - एक परचय” शीषक के अंतगत कवियी महादे वी और कवगु रवीनाथ के पारवारक, िशा- दा, पे शा और सामजक परवे श पर चचा क गई है । इस सदभ म महादे वी एवं रवीनाथ के उस परवे श का वे षण अपे त है , जसने इन दोन के भीतर के रचनाकार का िनमाण कया। इसके उपरां त इन दोन के रहयवाद काय का ववे चन - वे षण करते ह ु ए वश चचा क गई ह । तृतीय अयाय - “कृ ित सबधी रहयवाद - महादे वी वमा एवं रवीनाथ ठाकु र क कवताएँ” शीषक के अंतगत महादे वी और रवीनाथ क रहयवाद कवताओं म कृ ित का आलं बन प, उपन प, मानवीय प के साथ - साथ कृ ित सबधी रहयवाद काय पर प चचा कया गया है । चतु थ अयाय - “भावामक रहयवाद - महादे वी वमा एवं रवीनाथ ठाकु र क कवताएँ” शीषक के अंतगत महादे वी और रवीनाथ क भावामक रहयवाद कवताओं म अलौकक णय भाव, कणा, वे दना और द ु खवाद पर ववे चन - वे षण के साथ दोन के भावामक रहयवाद कवताओं का लोक कयाणकार प पर भी चचा क गई ह | पं चम अयाय - “धम, दशन एवं साधना सबधी रहयवाद - महादे वी वमा एवं रवीनाथ ठाकु र क कवताएँ” शीषक के अंतगत धम, दशन और साधना सं बं धी अथ और परभाषा प करते ह ु ए, दोन के रहयवाद कवताओं म धम, दशन, साधना सं बं धी प पर वश चचा क गई है और दोन के बीच साय वै षय प कया गया है । ु ए रहयवाद छठा अयाय - “भाषक अिभयं जना - महादे वी वमा एवं रवीनाथ ठाकु र क रहयवाद कवताएँ ” शीषक के अंतगत, महादे वी और रवीनाथ के रहयवाद कवताओं को आधार बनाकर उनके काय म छं द, अलं कर, शद िच, तीक, पक, बब पर चचा क गई ह । इस कार महादे वी वमा और रवीनाथ ठाकु र क रहयवाद कवताओं का तु लनामक अययन के बाद उपसं हार तु त कर, अंत म सदभ थ सू ची द गई है । | en_US |
dc.language.iso | other | en_US |
dc.publisher | Vidyasagar University, Midnapore, West Bengal | en_US |
dc.subject | Mahadevi Verma | en_US |
dc.subject | Rabindranath Thakur | en_US |
dc.subject | Kavita | en_US |
dc.subject | Rahasyavad | en_US |
dc.subject | Tulnatmak adhyayan | en_US |
dc.title | Mahadevi Verma Aur Rabindranath Thakur Ki Rahasyavadi Kavitaon Ka Tulnatmak Adhyayan | en_US |
dc.title.alternative | महादे वी वमा और रवीनाथ ठाकु र क रहयवाद कवताओं का तु लनामक अययन | en_US |
dc.type | Thesis | en_US |
Appears in Collections: | Hindi - Ph.D |
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